उत्तराखंड

उत्तराखंड में बादल फाड़ तबाही

अब तक 13 लोगों की मौत, तीन घायल और 16 लोग लापता

नदियां उफान पर, कई सड़कें और पुल हुए वासआउट

अनंत आवाज ब्यूरो

देहरादून। जलवायु परिवर्तन और वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के कारण उत्तराखंड में मानसून इस बार लगातार अपना रौद्र रूप दिखा रहा है। उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली के बाद मानसून ने जनपद टिहरी और प्रदेश की राजधानी देहरादून समेत आसपास के कई इलाकों में भारी तबाही मचाई है। बादल फटने की एक के बाद एक घटनाओं से जहां एक ओर हजारों किलोमीटर सड़कों, पुलों और बड़ी संख्या में सम्पर्क को भारी नुक्सान हुआ है तो दूसरी ओर मूसलाधार बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है।


पीएम मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह ने ली जानकारी

पीएम मोदी ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात की और उत्तराखंड में भारी बारिश से हुई तबाही की जानकारी ली। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी मुख्यमंत्री से बात की।

धामी बोले हम युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि भारी बरसात और बादल फटने के घटन ओ से “कई घरों और सरकारी संपत्तियों को काफी नुकसान पहुंचा है और जनजीवन भी प्रभावित हुआ है। बहुत सारे संपर्क मार्ग कट गए हैं, नदियों का जलस्तर बढ़ गया है। हमारे सभी विभाग युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मुझसे बात कर हालात की सारी जानकारी ली। उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि हर संभव मदद प्रदान की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम आपदा में प्रभावित लोगों की हर तरह की सहायता के लिए युद्धस्तर पर काम कर रहे हैं।


प्रदेश की राजधानी देहरादून सहित निकटवर्ती क्षेत्रों और जनपद टिहरी के कई इलाकों में मंगलवार रात्रि में बादल फटने के बाद मुसलधार बारिश ने हालात पूरी तरह से बिगाड़ दिए हैं। देहरादून स्थित रिस्पना, बिंदाल, तमसा और टोंस जैसी प्रमुख नदियां जबरदस्त उफान पर आने से जगह-जगह जलप्रलय से हालात बन गए। मुख्य शहर से कई जगहों का संपर्क पूरी तरह से टूट गया। सबसे भयावह नजारा सहस्त्रधारा क्षेत्र के कारलीगाढ़ में देखने को मिला। देर रात बादल फटने से पानी का तेज़ बहाव दुकानों और घरों को बहा ले गया। स्थानीय लोग अपना जीवन बचाने के लिए इधर-उधर भागते दिखाई दिये।भारी बारिश के कारण आई बाढ़ से घरों और संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा है। तीन लोगों के मलबे में दबे होने की भी सूचना है। घटना की सूचना मिलते ही देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल ने राहत और बचाव कार्यों की कमान संभाली। हालांकि भारी बारिश और तेज बहाव के कारण हालात को काबू में करना आसान नहीं था लेकिन उसके बावजूद भी वह मुस्तैदी के साथ डटे रहे। प्रेमनगर, नंदा की चौंकी, उत्तराचंल यूनिवर्सिटी के समीप स्थित टौंस नदी पर बना पुल तेज़ बहाव में पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। इस पुल के टूटने से राजधानी और पछवादून (विकासनगर, हरबर्टपुर और जौनसार बावर) का सीधा संपर्क पूरी तरह से कट गया। अब शिमला बाईपास मार्ग ही एकमात्र विकल्प बचा है, जो भी लगातार बारिश से प्रभावित हो रहा है।

भारी बारिश और बादल फटने से देहरादून में मालदेवता के पास केसरवाला से आगे, रायपुर चौक से मालदेवता की ओर जाने वाली सड़क का लगभग 250 मीटर हिस्सा सौंग नदी के उफान के कारण पूरी तरह से वासआऊट हो गया। इतना ही नहीं मालदेवता और टिहरी को जोड़ने वाले मार्ग के कई हिस्से भी भारी बरसात से क्षतिग्रस्त हो गए और बहुत से सम्पर्क मार्ग कट जाने से आवाजाही ठप्प हो गई है। सौंग नदी के उफान से कई मकान और दुकानें भी क्षतिग्रस्त हो गईं। लगभग 15 वर्षों के बाद सौंग नदी ने अपना यह विकराल रूप दिखाया है। देहरादून और आसपास के इलाकों में कुदरत के कहर से कई सड़कें, मकान और दुकानें क्षतिग्रस्त हो गईं और कई लोग लापता बताए जा रहे हैं। तमसा नदी के रौद्र रूप लेने से टपकेश्वर मंदिर में शिवलिंग डूब गया। आईटी पार्क के पास मलबा आने से जलस्तर बढ़ गया। मसूरी में भारी बारिश से एक मजदूर की मौत हो गई। मसूरी-देहरादून मार्ग क्षतिग्रस्त होने भारी नुक्सान हुआ है। कोलू खेत के पास सड़क का एक बड़ा हिस्सा पूरी तरह टूट गया। गलोगी पावर हाउस से करीब 200 मीटर आगे सड़क धंस गई है। मालसी डियर पार्क के पास एक पुल का हिस्सा ढह गया है, जिससे वाहनों की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी गई है। फिलहाल वहां पर वैली ब्रिज बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। भारी बारिश के कारण देहरादून-हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग पर फन वैली और उत्तराखंड डेंटल कॉलेज के समीप स्थित पुल भी बह गया है। हरिद्वार से देहरादून आने वाले यातायात को नेपाली फार्म से ऋषिकेश वाया देहरादून को मोड़ा गया है।

ऋषिकेश में भारी बारिश के कारण चंद्रभागा नदी भी उफान पर आ गई। नदी का पानी हाईवे तक पहुंच गया, जिससे कई वाहन फंस गए। इस दौरान नदी के बीच में फंसे तीन व्यक्तियों, खुशपाल सिंह (चिन्यालीसौड़), मनोज रावत (चंबा), और बॉबी पंवार (ढाल वाला), को राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की टीम ने तेजी दिखाते हुए सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया है। देहरादून और आसपास के इलाकों से सामने आई तस्वीरों और वीडियो ने लोगों को दहशत में डाल दिया है। कई जगहों पर हालात यह थे कि दर्जनों लोग उफान मारती नदी के बीच फंसे दिखाई दिये। भारी बारिश और आपदा की स्थिति को देखते हुए सरकार, प्रशासन और आपदा प्रबंधन सभी अलर्ट मोड पर हैं। वहीं सहस्त्रधारा क्षेत्र और नदी किनारे बसे इलाकों में लगातार निगरानी रखी जा रही है।

देहरादून जनपद में बारिश ने भारी तबाही मचाई। विभिन्न क्षेत्रों में अब तक 13 लोगों की मौत, तीन घायल और 16 लोग लापता होने की पुष्टि हुई है। आपदा से सरकारी एवं निजी परिसंपत्तियों को भी व्यापक क्षति पहुंची है। 13 पुल, 10 पुलिया, दो मकान, 31 दीवारें, 21 सड़कें और सात पेयजल योजनाएं क्षतिग्रस्त हो गई हैं। सहस्रधारा–कार्लीगाड मोटर मार्ग भी नौ से अधिक स्थानों पर ध्वस्त हो गया। प्रशासन ने चामासारी स्थित राजकीय इंटर कॉलेज में राहत शिविर स्थापित कर प्रभावितों को सुरक्षित ठहराया है। मंगलवार को जिलाधिकारी सविन बंसल ने मालदेवता, सहस्रधारा, मजयाडा और कार्लीगाड सहित प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया। जिलाधिकारी ने कहा कि प्रभावित परिवारों की मदद में कोई कमी नहीं रखी जाएगी। जो लोग किराए पर शिफ्ट होना चाहें, उन्हें प्रति परिवार तीन माह तक 4-4 हजार रुपये किराया सहायता दी जाएगी। जिला प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे सुरक्षित स्थानों पर रहें और आपदा की इस घड़ी में प्रशासन को सहयोग करें। उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिया। निरीक्षण के दौरान वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह और मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह भी मौजूद रहे।

डीएम ने संबंधित विभागों को राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। लोनिवि और पीएमजीएसवाई को पर्याप्त मशीनरी और मैनपावर लगाकर सड़कों एवं संपर्क मार्गों को जल्द बहाल करने के आदेश दिए गए। प्रभावित क्षेत्रों में राहत शिविरों में ठहराए गए लोगों को भोजन पैकेट व अन्य आवश्यक सामग्री वितरित की जा रही है। साथ ही बिजली, पानी और अन्य मूलभूत सुविधाओं को तुरंत बहाल करने की कवायद जारी है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों ने राहत व बचाव कार्य में तेजी दिखाते हुए कार्लीगाड क्षेत्र में फंसे 70 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया।

टिहरी में चंबा-ऋषिकेश राष्ट्रीय राजमार्ग पर नागणी के पास भारी मलबा गिरने के कारण सड़क बंद हो गई है, जिससे दोनों तरफ वाहन फंस गए हैं। भूस्खलन के बाद राजमार्ग खोलने का काम एनएच-पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा किया जा रहा है, लेकिन बड़े पत्थरों के आने के कारण इसमें अभी और समय लगने की संभावना है। एनएच 707 मसूरी बेंड-कैम्पटी मार्ग जीवन आश्रम के पास मलबा आने के कारण बंद मार्ग अवरुद्ध है। एनएच-34 नागणी के पास चम्बा थाना क्षेत्र अंतर्गत आमसेरा और फकोट से 250 मीटर आगे नरेंद्रनगर थाना क्षेत्रांर्गत भिनू के पास मार्ग बंद हो गया, एनएच-07 ऋषिकेश-बद्रीनाथ रोड वर्तमान में पूर्ण रूप से खुला है जबकि राज्य मार्ग-31 खाड़ी-देवप्रयाग मार्ग बंद है। राज्य मार्ग-76 गूलर सिल्कयानी मटियाली मार्ग बंद और राज्य मार्ग-77 गुजराडा रानी पोखरी मार्ग बंद है। प्रदेश में लोक निर्माण विभाग, बी०आर०ओ० एवं पी०एम०जी०एस०वाई० को सम्मिलित करते हुये जनपद टिहरी में 55, चमोली 36, रूद्रप्रयाग 24, उत्तरकाशी 19, देहरादून 60, हरिद्वार 01. पिथौरागढ़ 25, चम्पावत 01, अल्मोड़ा 14, बागेश्वर 04 एवं नैनीताल में 12 सड़कें अवरूद्ध है। जिन्हें खोलने के लिए 704 मशीनें दिन रात लगी हैं।

मौसम विभाग फिर अर्लट मोड़ पर 16 से 20 सितम्बर के बीच फिर भारी बारिश

मौसम विभाग ने एक फिर से चेतावनी दी है कि अगले 5 दिनों (16 सितम्बर से 20 सितम्बर 2025) के दौरान उत्तराखंड के देहरादून, चम्पावत, नैनीताल, चमोली, बागेश्वर पिथौरागढ़, उधम सिंह नगर जिलों में भारी से बहुत भारी वर्षा, गर्जन-चमक के साथ आकाशीय बिजली गिरने तथा तेज से अति तेज बौछारें पड़ने की संभावना है। इसलिए लोग नदियों-नालों के पास जाने से बचें और पुलिस प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें।

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