उत्तराखंड

देहरादून की टोंस नदी में अंधाधुंध खनन, आपदा से भी नहीं चेते, नदी का बदल दिया स्वरूप

खनन के नाम पर नदी का रुख बदला, आसपास की कालोनियों पर मंडराया संकट

सुद्धोवाला क्षेत्र में टोंस नदी पर चल रहा खनन एक बार फिर विवादों में घिर गया है। वर्षाकाल के बाद नदी में खनन सामग्री के चुगान की अनुमति मिलने के बावजूद स्थानीय लोगों ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि अनुमति की आड़ में अनियंत्रित खुदान किया जा रहा है और नदी के प्राकृतिक प्रवाह से छेड़छाड़ कर उसका रुख कालोनी की ओर मोड़ा जा रहा है। इससे त्रिलोकपुरम सहित आसपास की बस्तियों पर भविष्य में भारी जान-माल के नुकसान का खतरा गहरा गया है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि इसी वर्ष मानसून के दौरान टोंस नदी में आई भीषण बाढ़ ने नंदा की चौकी स्थित पुल को ध्वस्त कर दिया था। उस दौरान एक खनन कार्य में लगी ट्रैक्टर-ट्रॉली भी बह गई थी और जनहानि की घटनाएं भी सामने आई थीं। तब भी अवैध और मानकों से अधिक खनन को बाढ़ के विनाश का बड़ा कारण बताया गया था। अब मानसून के बाद खनन की अनुमति मिलते ही बड़ी संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉली, डंपर और जेसीबी नदी में उतार दिए गए हैं, जिससे मानकों के उल्लंघन के आरोप लग रहे हैं।

हंगामे के बाद प्रशासन मौके पर पहुंचा

बुधवार को स्थिति उस समय और गंभीर हो गई जब त्रिलोकपुरम कॉलोनी के बड़ी संख्या में निवासी नदी के बीच चल रहे खनन कार्य को रुकवाने मौके पर पहुंच गए। स्थानीय लोगों का आरोप है कि सिंचाई विभाग की अनुमति के अनुसार नदी के मध्य भाग में चैनलाइजेशन किया जाना था, लेकिन वास्तविकता में नदी का प्रवाह एक किनारे की ओर मोड़ दिया गया है, जिससे कालोनी सीधे बाढ़ के खतरे की जद में आ गई है। हंगामे की सूचना पर प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची और शिकायत की जांच का आश्वासन दिया।

बताया जा रहा है कि उपजिलाधिकारी विकासनगर, सिंचाई विभाग के अधिकारी, पुलिस चौकी झाझरा, ग्राम प्रधान और राजस्व उपनिरीक्षक की मौजूदगी में भी यह सामने आया कि कार्य स्वीकृति के अनुरूप नहीं किया जा रहा है।

जिलाधिकारी से की तत्काल हस्तक्षेप की मांग

त्रिलोकपुरम विकास समिति की ओर से जिलाधिकारी देहरादून को ज्ञापन सौंपकर मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग की गई है। समिति के सचिव मुकेश ध्यानी ने बताया कि इस वर्ष नदी का पानी तटबंध से ऊपर होकर कालोनी के कई मकानों तक पहुंच गया था। ऐसे में यदि नदी का रुख इसी तरह बदला गया तो भविष्य में बड़ी आपदा से इनकार नहीं किया जा सकता।

ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया है कि समिति के पदाधिकारियों ने मौके पर जाकर जेसीबी संचालकों और वहां मौजूद प्रतिनिधियों को नियमों के अनुसार कार्य करने को कहा, लेकिन इसके बावजूद नियमविरुद्ध खनन जारी रहा।

आंदोलन की चेतावनी

कालोनीवासियों ने प्रशासन से मांग की है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए खनन और चैनलाइजेशन कार्य को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया जाए। चेतावनी दी गई है कि यदि जनहित और नियमों के अनुरूप कार्रवाई नहीं की गई तो त्रिलोकपुरम विकास समिति को उग्र आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए तो टोंस नदी एक बार फिर भारी तबाही का कारण बन सकती है।

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