देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूकेएसएसएससी (उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग) पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच की संस्तुति की घोषणा कर दी है. वहीं सीएम धामी से आश्वासन मिलने के बाद आठ दिनों से धरने पर बैठे बेरोजगारों युवाओं ने भी अपना आंदोलन स्थगित कर दिया है. इसके बावजूद भी मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस संतुष्ट नजर नहीं आ रही है. कांग्रेस ने पेपर लीक मामले पर तीन अक्टूबर को मुख्यमंत्री आवास कूच किए जाने के प्रस्तावित कार्यक्रम को यथावत रखा है.
कांग्रेस ने अपने पूर्व घोषित सीएम आवास कूच के कार्यक्रम को 3 अक्टूबर को पूरे जोर शोर से करने का आह्वान किया है. उत्तराखंड में विपक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस का कहना है कि मुख्यमंत्री ने सोमवार को आंदोलनरत युवाओं के धरने पर पहुंचकर स्नातक स्तरीय पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच की संस्तुति की है, लेकिन अब भी पेपर लीक मामले की जांच सीबीआई से कराये जाने को लेकर संशय बरकरार है. क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के ही मुख्यमंत्री रहे त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एनएच-74 घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की घोषणा विधानसभा में खड़े होकर की थी.
कांग्रेस के अनुसार तब तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा था कि एनएच-74 घोटाले की जांच 15 दिन में सीबीआई अपने हाथों में ले लेगी, लेकिन आठ साल बीतने के बावजूद यह जांच सीबीआई अपने हाथों में लेने के लिए अभी तक नहीं आई.
उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि पहले दिन से ही कांग्रेस यूकेएसएसएससी की भर्ती परीक्षा पेपर लीक की जांच हाईकोर्ट के सीटिंग जज की निगरानी मे सीबीआई से करवाने की मांग कर रही है. साथ ही उनकी मांग है कि भर्ती परीक्षा के दौरान जो पेपर लीक हुआ है, उस परीक्षा को निरस्त करके पुनः परीक्षा की नई तिथि घोषित की जाए.
उन्होंने कहा कि पेपर लीक होने के बाद यूकेएसएसएससी के अध्यक्ष को पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. इसलिए या तो आयोग के अध्यक्ष को इस्तीफा दे देना चाहिए या फिर सरकार को उन्हें बर्खास्त करना चाहिए. लेकिन राज्य की सरकार और पूरी भाजपा ने मिलकर इन आठ दिनों में आंदोलन कर रहे युवाओं को अर्बन नक्सल बताया, उनपर भाजपा नेताओं ने भगवा को अपमानित करने के आरोप लगाए. इससे भी ऊपर मुख्यमंत्री ने तो हद पार करते हुए पूरे आंदोलन को नकल जिहादी करार दे दिया.
इस दौरान पूरे राज्य के भीतर जिस तरह का वातावरण भाजपा के खिलाफ बना और कांग्रेस ने जिस तरह पेपर लीक मामले पर मुख्यमंत्री आवास घेराव का आह्वान किया, उसे घबराहट की वजह से आखिरकार मुख्यमंत्री को बेरोजगार युवाओं की मांगों पर झुकना पड़ा.
कांग्रेस का कहना है कि केंद्र में भाजपा की सरकार है और मुख्यमंत्री यदि चाहते तो 24 घंटे के भीतर केंद्र सरकार के आदेश पर यह जांच सीबीआई टेकओवर कर सकती थी, लेकिन इस मामले की एसआईटी अभी भी जांच कर रही है. मुख्यमंत्री ने केवल कागज में लिखकर बेरोजगारों के सामने सीबीआई संस्तुति की घोषणा कर दी, और धरना स्थगित करवा दिया. लेकिन इस संस्तुति पर केंद्र कब कार्रवाई करेगा, इस पर कांग्रेस पार्टी की आशंका बरकरार है. इन सभी सवालों को लेकर कांग्रेस तीन अक्टूबर को मुख्यमंत्री आवास कूच किए जाने का फैसला लिया है.