उत्तराखंड

हल्द्वानी: 16 साल की नाबालिग का निकाह POCSO और बाल विवाह एक्ट में माता-पिता गिरफ्तार

हल्द्वानी में 16 साल की गर्भवती नाबालिग का निकाह कराने पर हड़कंप। युवक की मां की शिकायत के बाद पुलिस ने माता-पिता पर बाल विवाह अधिनियम और युवक पर POCSO के तहत मुकदमा दर्ज किया। जानें पूरा मामला।

हल्द्वानी: हल्द्वानी में बाल विवाह का एक गंभीर मामला सामने आया है, जहाँ 16 वर्ष की गर्भवती नाबालिग का जबरन निकाह करा दिया गया। इस मामले ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है और पुलिस ने सख्त कानूनी कार्रवाई की है। आरोपी युवक की मां की शिकायत पर जांच शुरू हुई, जिसके बाद किशोरी के माता-पिता और निकाह करने वाले युवक के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

शिकायत के बाद हुआ चौंकाने वाला खुलासा
मिली जानकारी के अनुसार, हल्द्वानी निवासी एक युवक का पड़ोस में रहने वाली 16 साल की किशोरी से प्रेम प्रसंग चल रहा था। इस दौरान किशोरी गर्भवती हो गई। किशोरी के परिवार को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने सामाजिक बदनामी से बचने के लिए नाबालिग का निकाह युवक से करा दिया। इस बीच, नाराज युवक की मां ने पुलिस स्टेशन में तहरीर दी और आरोप लगाया कि किशोरी के परिवार ने उनके बेटे पर जबरन निकाह करने का दबाव बनाया। पुलिस ने तत्काल मामले की जाँच शुरू की और दस्तावेज खंगाले, जिससे चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि लड़की सिर्फ 16 साल की है और चिकित्सकीय परीक्षण में वह चार माह की गर्भवती पाई गई।

माता-पिता और युवक पर दर्ज हुआ गंभीर मुकदमा
पुलिस ने इस पूरे मामले को बाल विवाह और यौन अपराध की श्रेणी में रखा है। एसपी सिटी मनोज कत्याल ने मीडिया को बताया कि बाल विवाह जैसे जघन्य अपराध को अंजाम देने के लिए नाबालिग के माता-पिता के खिलाफ ‘बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006’ के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। साथ ही, नाबालिग से निकाह करने वाले आरोपी युवक के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम यानी POCSO की धारा में केस दर्ज किया गया है। आरोपी युवक को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया गया है और पुलिस आगे की कार्रवाई कर रही है।

कानून की अनदेखी पर पुलिस सख्त
यह घटना एक बार फिर समाज में बाल विवाह के प्रति जागरूकता की कमी को दर्शाती है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के अनुसार, लड़की की विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़के की 21 वर्ष है। इससे कम उम्र में विवाह करना एक दंडनीय अपराध है, जिसमें 2 साल तक की कठोर कैद और 1 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। पुलिस ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसे मामलों में किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा और कानून का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि नाबालिगों के अधिकारों की रक्षा हो सके।

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