ज्ञान–आधारित विकास ही तय करेगा उत्तराखण्ड का भविष्य: निशंक

ग्राफिक एरा (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) में 20वें राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्मेलन का भव्य उद्घाटन
विशेषज्ञ बोले— विज्ञान, नवाचार और आपदा प्रबंधन में उत्तराखण्ड प्रस्तुत कर रहा नई दिशा
.देहरादून। उत्तराखण्ड राज्य स्थापना के रजत जयंती वर्ष पर यूकॉस्ट द्वारा ग्राफिक एरा (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) में 20वीं उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सम्मेलन (USSTC 2025) के प्रारंभिक सत्र और विज्ञान प्रदर्शनी का भव्य शुभारंभ किया गया। सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों, नीति-निर्माताओं, नवाचारी उद्यमियों, युवा प्रतिनिधियों और समुदाय आधारित संगठनों ने भाग लिया। इसका उद्देश्य राज्य में विज्ञान, तकनीक और आपदा-प्रबंधन की क्षमता को और मजबूत बनाना था।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री एवं उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने राज्य की वैज्ञानिक प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि आने वाले 25 वर्षों में उत्तराखण्ड का भविष्य ज्ञान-आधारित विकास तय करेगा। उन्होंने कहा कि हमें प्रकृति के संकेतों को समझते हुए विज्ञान और नवाचार को समाज के हर स्तर तक पहुंचाना होगा।
एनडीएमए के सदस्य और मुख्य वक्ता डॉ. डी.के. असवाल ने कहा कि उभरती प्रौद्योगिकियां, वैज्ञानिक मॉडलिंग और समुदाय-केंद्रित नीतियां आपदा-रोधी समाज निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने कहा कि समुदायों को मजबूत बनाकर ही आपदा प्रबंधन में विश्वस्तरीय पहचान स्थापित की जा सकती है।
यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने कहा कि उत्तराखण्ड “देवभूमि” के साथ-साथ “युक्तिभूमि” भी है। उन्होंने बताया कि राज्य विज्ञान सम्मेलन और विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन जैसे मंच न केवल उत्तराखण्ड बल्कि पूरे विश्व के लिए समाधान देने में सक्षम हैं।
आईटीडीए के निदेशक आलोक कुमार पांडे (IAS) ने आपदा प्रबंधन में डिजिटल उपकरणों और एआई आधारित प्रणाली के बढ़ते महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हमें छोटी-छोटी आपदाओं से भी सीख लेनी चाहिए, तभी बड़े संकटों का सफल प्रबंधन संभव है।
राज्य आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष विनय कुमार रुहेला ने पर्वतीय क्षेत्रों में संस्थागत समन्वय और समुदाय आधारित तैयारी को अत्यंत आवश्यक बताया। कार्यक्रम में सम्मेलन की विवरणिका का भी विमोचन किया गया।
इस अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने वीडियो संदेश के माध्यम से सभी को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर गंभीरता बढ़ाना समय की मांग है और इस सम्मेलन से निकलने वाले सुझाव पूरी दुनिया के लिए उपयोगी होंगे।


